11 जुलाई 2025

लोकप्रिय दवाओं का फार्मास्युटिकल ब्रेकडाउन: असर, सेफ्टी और सच्चाई

लोकप्रिय दवाओं का फार्मास्युटिकल ब्रेकडाउन: असर, सेफ्टी और सच्चाई

ज़रा सोचिए, आपके घर की मेडिकल किट में रखी हर दवा अपना असर दिखाने से पहले शरीर के अंदर कैसी जंग छेड़ती है। पेरासिटामोल हो या एंटीबायोटिक, इनका फार्मास्युटिकल ब्रेकडाउन आपके स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है। जब भी आरव को बुखार आता है या मुझे हल्की सी जुकाम की शिकायत होती है तो दिल में सवाल उठता है—आखिर ये टेबलेट या कैप्सूल असली में करती क्या हैं? क्या इनका असर हर किसी पर एक-सा होता है? या क्या हर बार दवा सेवन का तरीका एक जैसा है? ऐसे ढेरों सवालों के जवाब तलाशना आसान नहीं, लेकिन जानना ज़रूरी है।

दवाओं का केमिकल स्ट्रक्चर और उनका शरीर में असर

दवाएं सिर्फ केमिकल्स का मिश्रण नहीं होतीं; इनमें छुपा है विज्ञान और बड़े-बड़े ट्रायल्स का नतीजा। उदाहरण के लिए, पेरासिटामोल आपके दिमाग में ‘प्रोस्टाग्लैंडिन’ (एक खास केमिकल) की मात्रा कम करता है। इसी की वजह से बुखार कम होता है और दर्द में राहत मिलती है। दूसरी तरफ, एंटीबायोटिक (जैसे- एमॉक्सिसिलिन) सीधा बैक्टीरिया की दीवार के प्रोटीन पर हमला करता है, उसे फोड़ता है, मगर वायरस पर इसका कोई असर नहीं होता।

हर दवा का अपने-अपने रासायनिक स्ट्रक्चर होता है, जो उसे ख़ास बनाता है। जैसे, असिडिटी की दवा ‘रैनीटिडिन’ पेट की कोशिकाओं में जाकर एसिड बनाने वाली पंप को ब्लॉक कर देती है। वहीं, पेनकिलर्स जैसे डायक्लोफेनाक, शरीर में सूजन के लिए ज़िम्मेदार केमिकल्स को कम करते हैं।

खाने के बाद दवा लेने या खाली पेट दवा खाने के पीछे भी केमिकल्स का खेल है। बहुत सी दवाएं पेट के एसिड के साथ रिएक्ट करके ही काम करती हैं, तो कुछ दवाएं खाली पेट तेजी से अवशोषित हो जाती हैं। कुछ मामलों में गर्भवती या बच्चे को दवा देने के लिए स्ट्रक्चर में बदलाव किया जाता है, ताकि वो उनके शरीर के लिए सेफ रहे।

मज़ेदार फैक्ट—ज्यादातर ब्रांडेड और जनरल दवाओं का ‘एक्टिव इंग्रीडिएंट’ बिलकुल एक जैसा होता है, बस रंग-रूप या फ्लेवर में अंतर आ जाता है। मतलब जेनेरिक पैरासिटामोल भी उतना ही असरदार है जितना महंगे ब्रांड वाला—अगर आपकी जेब हल्की है तो ये जानना काफी राहत देता है!

तरकीब: दवा लेते वक्त हमेशा पैकेट में लिखी जानकारी पढ़ें; साइड इफेक्ट्स और डोज़ मिस करने की स्थिति में क्या करना है, ये जानकारी बड़े काम की है।

सामान्य इस्तेमाल में आने वाली दवाओं के साइड इफेक्ट्स और उनसे बचाव

सामान्य इस्तेमाल में आने वाली दवाओं के साइड इफेक्ट्स और उनसे बचाव

आजकल बाजार में मिलने वाली ज्यादातर पॉपुलर दवाएं—बुखार, दर्द, सर्दी, अपच, या एलर्जी के लिए—इतनी आम हो गई हैं कि लोग डॉक्टर की सलाह के बिना ही लेने लगे हैं। मगर हर दवा का असर अलग-अलग लोगों में अलग तरीके से दिखता है, और हर दवा के साथ लग सकता है छोटा या बड़ा साइड इफेक्ट।

पारासिटामोल आमतौर पर सुरक्षित मानी जाती है, पर खासतौर पर बच्चों में, निर्धारित डोज़ से ज़्यादा लेने पर लीवर को नुकसान पहुंचा सकती है। छोटी सी ग़लती भी गंभीर परेशानी का कारण बन सकती है। इसी तरह, आईबुप्रोफेन पेट में अल्सर, गैस्ट्रिक ब्लीडिंग या किडनी की दिक्कत बढ़ा सकती है, खासकर वो लोग जो पहले से कोई पुरानी बीमारी से जूझ रहे हैं।

एंटीबायोटिक की बात करें तो—ये सबसे ज़्यादा मिसयूज़ की जाने वाली दवाओं में से एक हैं। गलत डोज़ या अधूरा कोर्स लेने से शरीर के अंदर बैक्टीरिया सुपरबग बन जाते हैं, जिन पर दोबारा दवा असर नहीं करती—यानि संक्रमण जिद्दी हो जाता है।

एंटीहिस्टामिन्स, जैसे की लेवोसेटिरीजिन, एलर्जी के लक्षणों को जल्दी शांत करते हैं लेकिन इनमें नींद आना, चक्कर या कभी-कभी मेमोरी पर असर दिखता है। असिडिटी की दवाएं अगर लम्बे समय तक ली जाएं तो विटामिन B12 की कमी, पेट में संक्रमण या बोन डेंसिटी घटा सकती हैं।

जानकारी देने वाला फैक्ट—डब्ल्यूएचओ के एक डेटा के अनुसार, दुनिया में हर तीसरे इंसान को एक बार किसी दवा का रिएक्शन हो चुका है। घर में दवा, खासकर बच्चों या बुजुर्गों के सामने कभी खुली नहीं छोड़ें। बच्चों को मीठी सिरप या तेज़ रंग वाली टेबलेट्स आकर्षित कर सकती हैं, जिससे अनजाने में ओवरडोज़ का खतरा बढ़ जाता है।

टिप: कभी भी एक साथ बहुत सारी दवाएं बिना डॉक्टर सलाह के न लें; इससे उनका आपसी रिएक्शन (ड्रग इंटरैक्शन) हो सकता है। अगर आप कोई नई दवा शुरू कर रहे हैं तो पहले डॉक्टर से सभी पुरानी दवाओं के बारे में चर्चा ज़रूर करें।

दवा लेने का सही तरीका और आम गलतियाँ

दवा लेने का सही तरीका और आम गलतियाँ

दवा खाने की टाइमिंग, डोज़, और साथ ली जाने वाली चीजें, ये सारी बातें असर में बहुत फर्क डालती हैं। आमतौर पर लोग दवा का ब्रेकडाउन समझने के बजाए, दूसरों का देखा-देखी शुरू कर देते हैं। कोई भी दवा सीधे पानी से फाँकनी चाहिए, ज्यादातर दवाओं के लिए यही सबसे सेफ है। दूध, जूस या चाय के साथ कुछ दवाएं उल्टा असर दिखा सकती हैं। उदाहरण के लिए, एंटीबायोटिक्स और दूध का कॉम्बिनेशन कैल्शियम के कारण दवा का असर कम कर देता है।

कुछ दवाएं खाली पेट फिट बैठती हैं (जैसे थायरॉइड की दवा), तो कुछ जैसे मल्टीविटामिन खाने के बाद लेना सही है क्योंकि उनका अवशोषण फैट्स के साथ बेहतर होता है। पैरासिटामोल का असर खाना खाने के बाद या पहले दोनों समय रहता है, मगर पेट दर्द या एसिडिटी की शिकायत वालों को भोजन के बाद लेना सुरक्षात्मक रहेगा।

डॉक्टर की सलाह की अनदेखी सबसे बड़ी गलती है। लोग कई बार खुद ही डोज़ बदल लेते हैं, या छूट गई दवा को एकसाथ दोना ट्राई करते हैं। ये बहुत ख़तरनाक हो सकता है, और कभी कभी जहर-जैसी स्थिति बना सकता है। एक और आम ग़लती—बच्चों को वयस्कों वाली दवा बांटना। हर उम्र और वजन के हिसाब से दवा की सही डोज़ तय होती है। आरव के लिए मुझे हमेशा डॉक्टर के बताये मिलीलीटर का ही चम्मच यूज़ करना पड़ता है, किचन वाली चम्मच से सटीक डोज़ नहीं मिलती।

एक इम्पोर्टेंट नोट बायफार्मा के रिसर्च के मुताबिक, हर दस में से सात केस में दवा गलत खाने से उसके असर में कमी या रिएक्शन होता है। जब तक डॉक्टर कहे, तब तक दवा लेते रहना चाहिए; जैसे ही खुद बेहतर महसूस हुआ, खुद से बंद करना भी रोग के लौटा आने की वजह बन सकता है।

दवा के साथ शराब, धूम्रपान या हर्बल प्रोडक्ट्स का कॉम्बिनेशन भी कई बार परिणाम उल्टे देता है। अक्सर लोग सोचते हैं काढ़ा या हर्बल सप्लीमेंट से कोई फर्क नहीं पड़ता, मगर असलियत में कुछ हर्बल दवाएं खून पतला करने वाली या ब्लड प्रेशर टेबलेट्स के साथ खतरनाक हो सकती हैं।

लोकप्रिय दवाएं हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गई हैं लेकिन ज्ञान और सावधानी के बिना इनका पालन करना जरा भी सही नहीं। ये छोटी-छोटी सावधानियां आपकी और आपके बच्चों की सेहत को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकती हैं। दवा के पैकेट पर लिखी एक्सपायरी तारीख, स्टोरेज तापमान और उपयोग की विधि कभी नज़रअंदाज़ न करें।

द्वारा लिखित:
राजवीर जोशी
राजवीर जोशी

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